Tuesday, September 9, 2008


तैं ह आ जाबे मैना
उड़त उड़त तैंह आ जाबे ।
मैंह कइसे आवौं ना, मैंह कइसे आवौना,
बिन पाँरवी मोर सुवना कइसे आवौं ना

मन के मया संगी तोला का बताववं ना
तैंह आ जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह आ जाबे ....

पुन्नी के रात मैना चंदा के अँजोर
जुगुर-जागर चमकत हे गाँव के गली खोर
सुरता आवत हे तोर अँचरा के छोर
तैंह आ जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह आ जाबे ....

पुन्नी के अँजोर सुवा बैरी होगे ना
दूसर बैरी मोर पाँव के पैरी होगे ना
छन्नर-छन्नर पैरी बाजय कइसे आवौं ना
मन के मया संगी तोला का बताववं ना ....

लहर-लहर पुरवाही झूमर गावै गाना
झिंगुर आभा मारै मोला, कोइला मारै ताना
मया मां तोर मैं बिसरायेवं अपन अऊ बिराना
तैंह आ जाबे मैना,
उड़त उड़त तैह आ जाबे ....

धर ले रे कुदारी गा किसान
आज डिपरा ला रखन के डबरा पाट देबो रे ।
ऊंच-नीच के भेद ला मिटाएच्च बर परही
चलौ चली बड़े बड़े ओदराबोन खरही
झुरमिल गरीबहा मन, संगे मां हो के मगन
करपा के भारा-भारा बाँट लेबो रे ।

चल गा पंड़ित, चल गा साहू, चल गा दिल्लीवार
चल गा दाऊ, चलौ ठाकुर, चल न गा कुम्हार
हरिजन मन घलो चलौ दाई - दीदी मन निकलौ
भेदभाव गड़िया के पाट देबो रे ।
जाँगर पेरइया हम हवन गा किसान
भोम्हरा अऊ भादों के हवन गा मितान
ये पइत पथराबन, हितवा ला अपन हमन
गाँव के सियानी बर छाँट लेबो रे ।।
किरन - किरन के चरन पखारन
आरती उतारन, रे मोर सोनहा बिहान,
बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।

मोर बिहनिया तोला अगोरत, सइघो रात पहागे
छाती पोंठ करेन हम्मन ते, ठंड़का तैं अगुवागे
तोला परघाये बर आइन, जुरमिल सबो मितान
रे मोर सोनहा बिहान,
बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।

दाई - ददा लइका-सियान सब, तोरेच गुन ला गाहीं
ललहूँ - पिंउरा मिंझरा सूरूज, कोन तोला टोनहाही
निकरे हस तैं कान मां खोंचे, हरियर दौना पान
रे मोर सोनहा बिहान,
बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।

तोर आए ले आज सिरागे, जिनगी के अँधियारी
आज हमर बर मया-दया के, खुलगे गजब दुवारी
आज हो गयेन सकला संगी, जम्मो अपन-बिरान
रे मोर सोनहा बिहान,
बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।

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